Thursday, September 2, 2010

~~~...पुराने जूते के डिब्बे में ख्वाईशें रखीं थीं...~~~

कहीं दूर से तुम्हारी आवाज़ चली आई
मेरे कानों पर दस्तक देने कल रात फिर


बहुत दिनों बाद याद आया कि मैंने तो
पुराने जूते के डिब्बे में ख्वाईशें रखीं थीं 


बिना सोचे समझे कदम फिर वहीँ चले
जहाँ ना जाने कि हज़ारों कसमें लीं थीं 


ऐसा ही बारिश का मौसम था, गीला,
सीलन आ गयी थी दीवारों में अचानक 


तुमने छज्जे पर बुलाया था ख़त में अपने
वहां तुम नहीं थीं, मेरा कुछ सामान था 


उंगली से उतारा, चांदी का छल्ला था
साथ गुज़ारी रात का भी किस्सा था 


तुम्हारी मनपसंद किताब के पन्ने बिखरे
हमारी यादों का वहां बाज़ार लगा था 


'विती' का बावरापन थोड़ा उभरा था
और 'नूर' कि ख़ामोशी कि शुरुआत थी 


कहीं दूर से तुम्हारी आवाज़ चली आई
मेरे कानों पर दस्तक देने कल रात फिर 


बहुत दिनों बाद याद आया कि मैंने तो
पुराने जूते के डिब्बे में ख्वाईशें रखीं थीं...

17 comments:

  1. Beautifully written :)

    Memories and things they do to u... sigh

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  2. Beautifully written indeed, it builds up, narrates a story and lives in ones eyes. Awesome!

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  3. बढ़िया!! क्या बात है!
    बड़ी सुन्दर कविता लिखी है आपने.... उंडा हिंदी लेख आज कल इतनी आसानी से नहीं पढने मिलते ... आपकी कविता पढ़कर बड़ा अच्छा लगा....
    :)

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  4. this is so sweet and well written viti :)

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  5. very nicely composed :)

    मै रिश्तों की बदलने का इंतज़ार करता रहा और वो मेरा ,,
    कुच नहीं बदला हमारे जस्बातो और वक़्त के अलावा |

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  6. OMG i liked this one.. i say, it shud b one of the very gud works i may hv come accross for a long time now!!

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  7. uhh, um.. it sounds very similar to "Mera kuch saaman.." from the movie ijazzat. beautiful lyrics, tho.

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  8. Jaane kin panno ko palat-te hue ye khayaal aaya
    ki aapki zindagi ki kitaab padhne ka khayaal aaya

    pehla panna palatne ki der thi
    humein zindagi aur maut ka khayaal aaya.

    :)

    You are true to your name. Baavri.

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  9. awwwwwwsssuuuummmmmmmm!!! i loved it ! so nice !!

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  10. This is brilliant stuff. Am your fan now miss...Keep up the good work...God bless you always...

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  11. I really wont decide if it was well written or not...
    all I can say that, somehow, it did its work.
    *thinking mode*

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  12. Excellent, Very well written, enjoyed reading it. ~ WahVa.

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  13. it is so nice......
    love the whole feel of it

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  14. Vits...Speechless I'm..
    "बहुत दिनों बाद याद आया कि मैंने तो
    पुराने जूते के डिब्बे में ख्वाईशें रखीं थीं
    बिना सोचे समझे कदम फिर वहीँ चले
    जहाँ ना जाने कि हज़ारों कसमें लीं थीं"
    Its exactly how I had been feeling since few days.. Loved it. Bina soche samjhe Kadam Phir wahi chale... So effin True. :\

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  15. thanks a lot everyone :) i am grateful for the responses.

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  16. Good poetry.
    Seems inspired by "Mera kuch saaman" sometimes.

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