one step back
closer.
आज तो मुझे खुद से फिर मिलने दो
जाने किस गली के मोड़ पर यूँ ही
एक बार छोड़ आई थी वो लिबास
जिसे पहन आधी ज़िन्दगी गुज़री थी
मिलना चाहती हूँ अपनी पहचान से
हाँ वो पुरानी सही, है तो मेरी ही ना?
टुकड़ा है जो गिरा मुझसे टूट कर कभी
ज़रूरी है तलाश उसकी बहुत मेरे लिए
पहेली हूँ मैं, और मेरे हिस्से हैं बिखरे
जोड कर इनको एक तस्वीर उभरेगी
बस उस को देखना है, खुद से मिलना है
खुद से प्यार करती थी मैं, याद है मुझे...
two steps forward
one step back
closer.
Good one :)
ReplyDeleteBeautiful, especially the last lines :)
ReplyDelete*sigh*
ReplyDeleteLovely..
roka hai kisne
ReplyDeletepukarta hai kaun tumhe
jaogi milne khudse
kahogi fir humse
viti se mil aai viti
*wipesh teahs*
ReplyDeleteab tum itni bhi badi nahi hui yaar, relax. But nice mature verses
ReplyDeleteStumbled upon your blog...you write really well...:) keep writing
ReplyDeletethanks a lot everyone!
ReplyDelete@ani: i like!
@shefali: thank you! keep visiting.