कमी सी है कुछ आज धूप में...
रौशनी फैली तो है सभी जगह,
जाने क्यूँ मुझे अँधेरा दिखता है ?
आज आसमान रोता सा लगे है |
सुकून दुनिया भर का क्यूँ फकत
उस की बाहों में समाया है, बोलो?
अब जब वोह करीब हो कर भी
पास नहीं मेरे, तो करूँ क्या मैं?
सपनों में मिल तो लूं, लेकिन...
नींद कमबख्त उसके जाने के
बाद से ही लापता हो गयी!
दिमाग में एक अटके से record
की तरह साथ बिताए पल बस
बार-बार घूमते ही जा रहे हैं,
मुझे तडपाये जा रहे हैं, रोज़ |
ऐसे मंज़र में क्या करे 'बावरी'?
बस और पागल हुए जा रही है |