Friday, July 30, 2010

~~~...तुम आये और आ कर चले गए...~~~

बस टकटकी लगाये देखते गए 
तुम आये और आ कर चले गए


ना ग़ैर थे तुम, ना ही थे अपने
तुम आये और आ कर चले गए


कुछ हँसे साथ, कुछ रो लिए
तुम आये और आ कर चले गए


थोडा झूम और थोडा घूम लिए,
तुम आये और आ कर चले गए


ख्वाहिशें उठीं, आरज़ू मचली
तुम आये और आ कर चले गए


'विती' मुस्काई, 'नूर' दमका
तुम आये और आ कर चले गए


बावरी वो तो बावरी ही रही
तुम आये और आ कर चले गए...

Sunday, July 25, 2010

~~~...गरजे बहुत, बरसे नहीं तुम...~~~

गरजे बहुत, बरसे नहीं तुम
मेरे साथ चले, मिले नहीं तुम...

As the rain falls I wait for your call
Only thing that'll brighten my day.
Hearing a sweet voice, a soft drawl
One way to chase the clouds away...


गरजे बहुत, बरसे नहीं तुम
मेरे साथ चले, मिले नहीं तुम...


Lonely black dot on the white wall,
Don't you dare to move, please stay.
You are a muse, a distraction for me,
Watching you, I pass hours, as I sway...

गरजे बहुत, बरसे नहीं तुम
मेरे साथ चले, मिले नहीं तुम...

Sunday, July 18, 2010

~~~...I have heard it before...~~~

there is something in your voice.

i have heard it before.

in the raindrops on the roof,
in the call of a bird at dawn.
that something which melts
the rough and strong walls
put up by my heart in despair.
that something, it might be
so many good things.
maybe it's joy itself
or sadness, concealed
in a shroud of happiness.
because i have only known
a sombre melancholy as
sweet as your voice.
you know, it might not be
any of those beautiful things.
maybe its just love,
pure and raw.  at least,
i like to think that way.

there is something in your voice.

i have heard it before.

Wednesday, July 14, 2010

~~~...Sings silent songs...~~~

दिल कुछ सोचने लगे, 
दिमाग से आवाज़ आती है...
फायदा क्या है? 
आज तक किसी नज़्म ने 
दिल्लगी से ज्यादा 
कुछ पा लिया?


bitter sugar
sings silent
songs in a
harsh tenor.

Thursday, July 8, 2010

~~~...मिला क्या तुमको?...~~~

मेरा घर जला कर मिला क्या तुमको?
सरहदें यूँ बनाकर, मिला क्या तुमको?

जन्नत जो कहलाया, मेरा यह आशियाँ...
इसे ऐसे तबाह कर मिला क्या तुमको?

चिनार के पत्ते, और शिकारों की तसवीरें...
मेरे ख़्वाब फ़ना कर मिला क्या तुमको?

सदायें फरिश्तों ने भी दी होंगी, कि रुको...
बेवजह यह खता कर, मिला क्या तुमको?

मुझे थी आस कि मिल सकूंगी बीते कल से...
'विती' को मायूस कर, मिला क्या तुमको?