मैंने जब जवाब मांगे तो सवाल थमा दिए,
मंजिलें तय करीं तो सारे रास्ते हटा दिए |
सोचा उलझनों पर सवार ही चलते हैं अब,
ख़्वाबों के पहियों के आगे कांटे फैला दिए |
दुश्मनी जाने कौन सी खुद से निकालनी है,
आबरू को सर-ए-राह दो चांटे लगा दिए |
मुश्किल से जो दो-एक दोस्त इक्कठा किये,
बेदर्दी से तब उनके घरों पे ताले लगा दिए |
ग़ैर ने हालात थमाए होते तो कुछ बात थी,
'विती' तुमने यह नज़ारे खुद ही सजा दिए |
Amazing words, a broken soul wandering in search of hope
ReplyDeletever good write baavri! :p
ReplyDeletewow its lovely :)
ReplyDeleteThis blah was stunning !!!
ReplyDeletecould relate to it !
Nice!
ReplyDeleteVery good.
ReplyDeletewow. this was a beautiful read :)
ReplyDeletethank you so much, all of you! :)
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