Monday, April 25, 2011

blah

मैंने जब जवाब मांगे तो सवाल थमा दिए,
मंजिलें तय करीं तो सारे रास्ते हटा दिए |

सोचा उलझनों पर सवार ही चलते हैं अब,
ख़्वाबों के पहियों के आगे कांटे फैला दिए |

दुश्मनी जाने कौन सी खुद से निकालनी है,
आबरू को सर-ए-राह दो चांटे लगा दिए |

मुश्किल से जो दो-एक दोस्त इक्कठा किये,
बेदर्दी से तब उनके घरों पे ताले लगा दिए |

ग़ैर ने हालात थमाए होते तो कुछ बात थी,
'विती' तुमने यह नज़ारे खुद ही सजा दिए |

8 comments: