*'वितस्ता' कश्मीर में बहने वाली झेलम नदी का एक नाम है |*
कभी कभी मन में आता है की काग़ज़ पर पूरी ज़िन्दगी उतार दूं अपनी
बिना किसी परवाह के, बिना कुछ सोचे समझे, बस निकाल दूँ सब कुछ
अपने मन से, इस तरह कि कुछ ना बचे और एक नयी शुरुआत हो मेरी...
जैसे एक नया जनम, एक नयी ज़िन्दगी, एक आग़ाज़, 'वितस्ता' का |
जिस नदी के नाम से मुझे मिली है पहचान
उसकी ही तरह बह चलूँ मैं किसी दिन तो,
हदों से दूर, ज़माने के दस्तूरों को तोड़ कर
वादियों कि परछाई में, ग़मों को छोड़ कर |
कोशिश बहुत रही कि सीमाओं में रह लूं,
डाल कर, अपने बावरेपन को पिंजरों में,
ध्यान लगाऊं रोज़मर्रा कि ज़िन्दगी में बस |
पर रूह मरने लगे जब, तो क्या करे कोई?
चाहत खुली हवा कि जिसे, और उड़ानों की,
लाख़ चाहे भी तो नहीं कर सकता समझौते |
परवानों को शमा की दीवानगी जैसे होगी,
मुझे भी है जूनून बेलगाम आज़ादियों का !
समझा मैं सकी नहीं यह बातें जिन्हें कभी
वोह खुश हैं, अपने किस्सों में सब गुम हैं |
मैं एक कहानी भर हूँ उनके लिए, दूर हूँ,
'बावरी,' अपनी धुन में खोयी, सोयी सी |
अब जब मुझे समझा किसी ने तो जागे हैं,
थोडा सकपकाए भी हैं यह पुराने दोस्त |
मेरा माझी, मेरा 'माही' अब जो है पास,
पा लूंगी अपनी आज़ादियाँ मैं, जल्द ही !
Badhiya!
ReplyDeleteDil se jab kuch lafz bahe, to ban jaati hai kavita.. Aanhkon se parh kar jab dil ko chhoo le, tab ban jaati hai kavita.. Beautiful andaaz, beautiful aagaaz..
ReplyDeleteI m glad.... "vitasta" is finally back... :)
ReplyDeletenice work.. keep it up... :)
Yeh Jo Khol ke Rakh Dil hey Appne Mann Ki Aawaz..
ReplyDeleteAisa Laga Jaise Bahta hua Pani Mil Raha Hey Sagar Me,
Wah,,
Loved the poem... rather a river of thoughts. Free from bindings yet in limits.
ReplyDeleteI too think of jotting down my life on paper. Let's see when the day comes :)
Wonderful work and beautiful presentation of thoughts.
dil ki baat zubaan par aa jaye to accha lagta hai :)
ReplyDeleteNice poem, River has lots in it and breaks the bunds now and then but always returns to its path.
ReplyDeletegreat...ek aaghaaz...nadi mein khain jagah aise mod aate hain ki wahan se peeche ki nadi humari nazar nahi dekh paati aur wahin se naya aghaaz hota hai nayee zindagi ka...par paani ki har boond peeche se guzar kar hi aati hai aur hume yaad aa jaati hai....
ReplyDeleteLove it Baavri. Can totally relate to it.
ReplyDeleteAmazing work, i loved it a lot. Specially that 4th para :)
ReplyDeleteदिल के दर्द को बताने के लिए कलम मिला, अल्फ़ाज़ मिले, क्या यही कम है? दुनिया में और भी हैं जिनके दामन में नहीं यह शबनम है |
ReplyDelete@shakWrites
thank you so much everyone! :)
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