This was initially going to be a story, but oh well. An imaginary, and intimate friend revisits a poor soul that is wasting away into oblivion.
कल ख़्वाब में बहुत अरसे बाद दिखे तुम
अब भी सहसा गए, बेहराल, दिखे तुम
महकने लगी फिर रूह की सियाह धुंध,
हालाँकि लगा कि कुछ बेज़ार दिखे तुम
दो कदम साथ चले, साहिल के किनारे
अजीब हो, जब आया ख़याल, दिखे तुम
सुनाया किस्सा दोस्त को यूँही बातों में
ना आया उसे समझ, क्यूँ यार दिखे तुम
आज मिले फिर तो उसके होश थे हवा
बताया मुझे, उसे भी इस बार दिखे तुम
कहा उसने कि तुमसे बात करनी चाही
पूछा, खैरियत? है क्या बात, दिखे तुम?
'विती' ने शायद सपना तो कल देखा था
तो 'नूर,' भला मुझे क्यूँ आज दिखे तुम?
खो जाने की है आदत, ख़ैर, सुकून मिला
आखिरी नींद से पहले इक बार दिखे तुम...
superb lines
ReplyDeletepadh ke majaa aagayaa.congrats
ReplyDeleteakhiri neend *haunting-the-soul-type-line* SUPERB is d least word :)
ReplyDeleteawesome ... !
ReplyDelete"आखिरी नींद से पहले इक बार दिखे तुम..."
ReplyDeleteबहुत खूब... ये लाइन भुलाते नहीं भूल रही है...
Very nice!!
ReplyDelete"खो जाने की है आदत, ख़ैर, सुकून मिला
ReplyDeleteआखिरी नींद से पहले इक बार दिखे तुम..."