Saturday, October 8, 2011

~~~...बेफिक्र...~~~

जब मेरी बाहों से घिरी हुई,
मेरे काँधे पर रख कर सर
सोती है वोह तो लगता है 
सारी कायनात थम जाए |
रुक जाए बस वहीँ, उसी
इक लम्हे में कैद हो जाएँ,
ज़िन्दगी गुज़ार दें, बेफिक्र |

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